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कब और कैसे किया जाता है जनेऊ संस्कार

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दोस्तों हिंदू धर्म में कई सारे परंपराएं प्रचलित है, जिसमें से 16 संस्कार का नियम बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है, कहा जाता है कि यह 16 संस्कार किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं, जो उसे कई प्रकार के लाभ प्रदान करते हैं। तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको इन्हीं 16 संस्कारों में से एक संस्कार, जिसे कि हम जनेऊ संस्कार के नाम से जानते हैं, के बारे में बताने वाले हैं, आज हम आपको बताएंगे की जनेऊ संस्कार क्या है, और इसे कब और कैसे किया जाता है। तो चलिए जानते हैं।

जनेऊ संस्कार क्या है?

दोस्तों अगर बात करें जनेऊ संस्कार की, तो बता दे की जनेऊ संस्कार हिंदू धर्म में होने वाले 16 संस्कारों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार है, इसे उपनयन संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। कहां जाता है कि जो व्यक्ति जनेऊ धारण करता है, उसे आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। जनेऊ तीन सूत्र होते हैं, जो की ऋषिऋण देवऋण और पितृऋण का प्रतीक होता है, इसे ब्रह्मा विष्णु महेश का भी प्रतीक माना जाता है, कहा जाता है कि इसे धारण करने से इन तीनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। राम चालीसा को रोज़ाना, एक बार या अन्य सुयोग्य अवस्था में पढ़ने का सुझाव दिया जाता है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जनेऊ संस्कार के बारे में जानते हैं।

जनेऊ संस्कार कब किया जाता है

बता दें कि ज्यादातर 8 वर्ष से 16 वर्ष की उम्र में ही बालकों का जनेऊ संस्कार करवा दिया जाता है, युवावस्था में ही यह संस्कार हो जाता है। कहां जाता है ऐसा करने से बालकों को ज्ञान प्राप्त करने और जीवन मूल्यों को बनाए रखने में सहायता मिलती है। कई लोग शादी से पहले भी यह संस्कार करवाते हैं, तो दोस्तों अगर बात करें यह संस्कार करवाने का सही समय क्या है, तो हिंदू वर्ष के मांघ महीने से अगले 6 महीने तक यह संस्कार करवाया जाता है, जिसके लिए महीने की प्रथम, चतुर्थी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, और इसी के साथ पूर्णिमा और अमावस्या के दिन को बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है।

जनेऊ संस्कार कैसे किया जाता है?

  • जाने संस्कार को पूरा करने के लिए सबसे पहले मुहूर्त निकाला जाता है जिस दिन जनेऊ संस्कार होगा।
  • इसके बाद शुभ मुहूर्त वाले दिन बालक का मुंडन करवाया जाता है, जिसके बाद उसके पूरे शरीर में केसर और चंदन का लेप लगाया जाता है।
  • इसके बाद उस बालक को नियम के अनुसार बाए कंधे के ऊपर और दाएं भुजा के नीचे जाने पहनाकर, बिना सिले हुए कपड़े तथा माला पहनाकर यज्ञ में बैठाया जाता है।
  • इसके बाद 10 बार गायत्री मंत्र का पाठ करके देवताओं जैसे गणेश और सरस्वती माता आदि का आह्वान किया जाता है, और उस बच्चे से शिक्षा और व्रत पालन करने का वचन लिया जाता है।
  • इतना करने के बाद बालक को स्नान करवाया जाता है, जिसके बाद ब्राह्मण या फिर गुरु के द्वारा गायत्री मंत्र का पाठ करते हुए बालक को यह कहा जाता है कि आज से तू ब्राह्मण हुआ।
  • दोस्तो इतना करने के बाद उस बच्चे को मेखला धारण करवाकर, उसके हाथ में कंदोरा या कलावा बांधा जाता है, जिसके बाद गुरु द्वारा बालक को एक डंडा सौंपा जाता है, जो की एक ब्रह्मचर्य जीवन पालन करने का प्रतीक होता है।
  • दोस्तों इतना करने के बाद वह बच्चा अपने परिवार के सदस्य या फिर अपने माता-पिता से भिक्षा की मांग करता है, कहा जाता है कि ऐसा करने से अहंकार समाप्त होता है।

 इस तरह यह संस्कार किया जाता है, जिसके बाद से बालक को आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए जनेऊ संस्कार के विविध नियमों का पालन करना होता है।

जनेऊ संस्कार के नियम

दोस्तों जनेऊ धारण करने और करने के बाद ऐसे कई सारे नियम होते हैं, जिसका आपको पालन करना बहुत ही ज्यादा जरूरी है जैसे की–

  •  जनेऊ पहनने के बाद जब भी आप माल मूत्र विसर्जन के लिए जाते हैं, तो आपको इसे अपने दाहिने कान में चढ़ा लेना चाहिए, यह जनेऊ धारण करने का सबसे आवश्यक नियम है। हाथ साफ करने के बाद ही आपको वापस इसे नीचे उतारना है।
  • एक बार जनेऊ धारण कर लेने के बाद आपको कभी भी उसे शरीर से नहीं निकलना चाहिए, गलती से निकल जाने पर भी आपको भगवान से क्षमा याचना करके वापस इसे पहनना चाहिये।
  • अगर आपको जनेऊ पहने 6 महीने हो चुके हैं, या फिर आपकी जनेऊ की हालत खराब है, या उसके सूत्र टूट गए हैं, तो आपको उसे पूर्णिमा वाले दिन बदल लेना चाहिए, क्योंकि खंडित जनेऊ धारण करना असुभ माना जाता है।
  • अगर आपका जनेऊ गंदा भी हो गया है, तो भी आपको उसे अपने गले में पहने पहने ही साफ करना चाहिए, उसे निकालना नहीं चाहिए।

Conclusion

तो अब शायद आपको जनेऊ संस्कार और इसके विधि और महत्व के बारे में पता चल गया होगा, तो अब अगर आप भी चाहते हैं कि आपका भी जनेऊ संस्कार हो, तो आपको भी पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा, और आजीवन जनेऊ के नियमों को निभाना होगा, तभी आप जनेऊ धारण कर सकते हैं।

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